संदेश

Hindi Poem लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन री बात - मारवाड़ी कविता | Poem In Marwadi

चित्र
एक मारवाडी कवि ने अपने मन की इच्छा को कवि ने सुंदर शब्दो के समागम में पिरोया है,कवि का नाम ज्ञात नहीं है कवि ने अपने मन की बात को मारवाड़ी कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर ईश्वर से कुछ चीजें मांगी है। हाथी दीज्ये घोड़ा दीज्यै, गधा गधेड़ी मत दीज्यै सुगरां री संगत दे दीज्यै, नशा नशेड़ी मत दीज्यै। घर दीज्यै घरवाळी दीज्यै, खींचाताणीं मत दीज्यै जूणं बळद री दे दीज्ये, तेली री घाणीं मत दीज्यै। काजळ दीज्यै, टीकी दीज्यै, पोडर वोडर मत दीज्यै पतली नार पदमणीं दीज्यै, तूं बुलडोजर मत दीज्यै। टाबर दीज्यै, टींगर दीज्यै, बगनां बोगा मत दीज्यै जोगो एक देय दीज्यै, पणं दो नांजोगा मत दीज्यै। भारत री मुद्रा दै दीज्यै, डालर वालर मत दीज्यै कामेतणं घर वाली दीज्यै, ब्यूटी पालर मत दीज्यै। कैंसर वैंसर मत दीज्यै, तूं दिल का दौरा दे दीज्यै जीणों दौरो धिक ज्यावेला, मरणां सौरा दे दीज्यै। नेता और मिनिस्टर दीज्यै, भ्रष्टाचारी मत दीज्यै भारत मां री सेवा दीज्यै, तूं गद्दारी मत दीज्यै। भागवत री भगती दीज्यै, रामायण गीता दीज्यै नर में तूं नारायण दीज्यै, नारी...

आदमी की औकात-कविता

Whats app पर किसी सज्जन ने एक ग्रुप में भेजी थी,कविता अच्छी लगी पर इसके मूल लेखक का पता नहीं चल पाया हैं . अज्ञात लेखक की कविता में वैराग्य झलकता हैं,जीवन की क्षण भंगुरता और देह की नश्वरता को इंगित करती कविता हैं - आदमी की औकात .  एक माचिस की तिल्ली,  एक घी का लोटा, लकड़ियों के ढेर पे,  कुछ घण्टे में राख..... बस इतनी-सी है  आदमी की औकात !!!! एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,  अपनी सारी ज़िन्दगी , परिवार के नाम कर गया, कहीं रोने की सुगबुगाहट , तो कहीं फुसफुसाहट .... अरे जल्दी ले जाओ  कौन रखेगा सारी रात... बस इतनी-सी है  आदमी की औकात!!!! मरने के बाद नीचे देखा , नज़ारे नज़र आ रहे थे, मेरी मौत पे ..... कुछ लोग ज़बरदस्त,  तो कुछ ज़बरदस्ती  रो रहे थे।  नहीं रहा.. ........चला गया... चार दिन करेंगे बात......... बस इतनी-सी है  आदमी की औकात!!!!! बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा, सामने अगरबत्ती जलायेगा , खुश्बुदार फूलों की माला होगी... अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी......... बाद में ...