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ओ गढ़ चित्तौड़- राजस्थानी कविता | Fort Of Chittor : Rajasthani Poem

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Fort Of Chittor : Rajasthani Poem By Dr. Shakti Singh Chandawat Jodhpur. आप सगला इतिहास प्रेमीयाँ नें म्हारी घणेमान जय माताजी री...आशा करूँ म्हारी स्वरचित 'ओ गढ़ चितौड़'आपनें पसन्द आवेला पण बिना फेरबदल कियाँ इणनें महासती महारानी पद्मिनी रे भक्ताँ नें भेजाओ.... सबसूँ पहली निवण करूँ,तीर्थराज चितौड़, चारूँ धाम ज्यूँ पवित्र,धिन धिन है आ ठौड़ !! संत-सति अर सूरमा,जल्मया लाख-करोड़, सबही दुर्ग में बाँको है,जय जय गढ़ चितौड़ !! हिन्दुस्तान रौ गौरव है ओ,चित्रकूट चितौड़ , तिलक करूँ इण माटी सूँ,चंदन री आ ठौड़ !! सौलह हज़ार पद्मणीयाँ,सत् री चुन्दड़ औढ़, जौहर करनें गयी स्वर्ग में,है वो हिज चितौड़!! गौरा-बादल रे बलिदान रौ,नीं है कोई तौड़ , बप्पारावल री कर्मभोम,बाँको है ओ चितौड़!! कुम्भा राखी कीर्त इणरी,नव-खंड नें जौड़ , साँगा वाली सूरवीरता,भूले नीं ओ चितौड़ !! साँवरिया नें मौयो मीराँ,सागे इण हिज ठौड़, दुजो जौहर करुणावति रो,रंग थनें चितौड़ !! जैम्मल-पता गरजीया,राणा उदे री ठौड़ , कल्लाजी रौ न्यारो जस,गावे ओ चितौड़ !!...

भुलग्या- राजस्थानी कविता | Marwadi - Rajasthani Poem

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भूलग्या- राजस्थानी भाषा की कविता जो बीते जमाने की याद दिलाती है,ये कविता अहसास दिलाती हैं कि आगे बढ़ने की दौड़ मे हम क्या पीछे छोड़ आये हैं। ये कविता हमें एक Whatsapp Group से प्राप्त हुई लेखक का नाम पता नहीं हैं ,अगर आपको इस कविता के लेखक के बारें में जानकारी हो तो कमेंट बॉक्स में टिप्पणी करें। भुलग्या- राजस्थानी कविता | Forget Everything -Rajasthani Poem कंप्यूटर रो आयो जमानो कलम चलाणीं भूलग्या, मोबाईल में नंबर रेग्या लोग ठिकाणां भूलग्या। धोती पगडी पाग भूलग्या मूंछ्यां ऊपर ताव भूलग्या, शहर आयकर गांव भूलग्या बडेरां रा नांव भूलग्या । हेलो केवे हाथ मिलावे रामासामा भूलग्या, गधा राग में गावणं लाग्या सा रे गा मा भूलग्या । बोतल ल्याणीं याद रेयगी दाणां ल्याणां भूलग्या, होटलां रो चस्को लाग्यो घर रा खाणां भूलग्या । बे टिचकारा भूलगी ऐ खंखारा भूलग्या , लुगायां पर रोब जमाणां मरद बिचारा भूलग्या । जवानी रा जोश मांयनें बुढापा नें भूलग्या , हम दो हमारे दो मा बापां ने भूलग्या । संस्क्रति नें भूलग्या खुद री भाषा भूलग्या, लोकगीतां री राग...