प्रेरक प्रसंग-गुरु नानक-खुदा का घर- Moral Stories In Hindi

                             
गुरु नानक एक बार घूमते घूमते मक्का शरीफ पहुँच गये .रात हो गयी थी इसलिए वो एक वृक्ष के नीचे सो गये .
सुबह उठे तो अपने चारों और बहुत से मुल्लों को खड़ा पाया .वो सब गुरु नानक को घूर रहे थे .

उनमें से एक ने आँखे तरेरकर पुछा - कौन हो तुम जो खुदा के घर की तरफ पैर करके सोये हो . गुरु नानक ने उठकर देखा कि उनके पैरों की तरफ काबा हैं .गुरु नानक ने कहा मैं एक मुसाफिर हूँ गलती हो गयी ,आप मेरे पैर उस और कर दें जिधर खुदा का घर ना हों .

यह सुनते ही उस मुल्ला ने गुस्से में गुरु नानक के पैर खींचकर दूसरी और कर दिए .लेकिन सबको ये देखकर आश्चर्य हुवा कि अब काबा उस और हैं जिधर पैर हैं .वो मुल्ला आग बबूला हो गया और गुरु नानक के पैर तीसरी दिशा में कर दिये. किंतु यह देख दंग रह गया कि काबा भी उसी दिशा में हैं .

सारे मुल्लों को लगा ये आदमी कोई जादूगर हैं इसलिए वो गुरु नानक को काजी के पास ले गये और सारा किस्सा कह सुनाया.

काजी ने गुरु नानक से प्रश्न किया, तुम कौन हो हिन्दू या मुसलमान .गुरु नानक ने जवाब दिया मैं तो पांच तत्वों का पुतला हूँ .उसने पुछा  तुम्हारे हाथ में किताब कैसी हैं ? गुरु नानक ने जवाब दिया ये मेरी खुराक हैं ,इसे पढने से मेरी भूख मिटती हैं .

काजी समझ गया ये कोई साधारण इंसान नहीं हैं ,उसने गुरु नानक को खूब आदर सत्कार दिया और मुल्लों की बेवकूफी के लिए माफ़ी मांगी . गुरु नानक ने भी उन्हें उपदेश दिया कि खुदा तो हर जगह हैं किसी एक दिशा या स्थान पर नहीं .

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